Wednesday, March 2, 2011

अम्बेदकर दर्शन पर राष्ट्रीय सेमिनार


डॉ0 भीमराव अम्बेडकर का सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक दर्शन
(सर्व धर्म समभाव के विशेष संदर्भ में)
डॉ0 भीमराव अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र द्वारा आयोजित
तथा
यूजीसी द्वारा राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी
स्थान- कालपी कॉलेज, उत्तर प्रदेश
दिनांक - 01-02 मार्च २०११
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‘‘वर्तमान में भी डॉ0 अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता समाप्त नहीं होती है वरन् आज के सामाजिक संदर्भों में उनकी प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। जब तक मानव जाति रहेगी तब तक उनके विचारों का महत्व कम नहीं होगा, यह और बात है कि हम उनके विचारों को आत्मसात नहीं कर पा रहे हैं।’’ उक्त विचार बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के राजनीतिविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ0 रिपुसूदन सिंह ने कालपी कॉलेज, कालपी के दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये।

डॉ0 रिपुसूदन सिंह
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उत्तर
प्रदेश के कालपी कॉलेज में स्थित डॉ0 भीमराव अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र द्वारा आयोजित तथा यूजीसी द्वारा प्रायोजित डॉ0 भीमराव अम्बेडकर का सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक दर्शन-सर्व धर्म समभाव के विशेष संदर्भ में विषयक सेमिनार को सम्बोधित करते हुए डॉ0 रिपुसूदन सिंह ने कहा कि बाबा साहब ने समाज को दिशा देने का कार्य किया और धर्म आधारित व्यवस्था का विरोध किया।

सेमिनार के उद्घाटन सत्र पर मंचासीन अतिथि
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वेदान्त कॉलेज, लखनऊ से आये डॉ0 ब्रजेश कुमार ने कहा कि किताबी ज्ञान की नहीं आज व्यावहारिक ज्ञान की आवश्यकता है। बाबा साहब ने इसे प्रमाणित भी किया था।

डॉ0 ब्रजेश कुमार
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महाविद्यालय के प्रबन्धक डॉ0 अरुण महरोत्रा ने कहा कि कालपी की पावनता और ऐतिहासिकता को अंग्रेजों ने नष्ट कर दिया था उसी तरह से डॉ0 अम्बेडकर के विचारों का गलत उपयोग भारतीय अंग्रेजों ने किया। उनके मूल्यों और सिद्धान्तों को वर्तमान में राजनैतिक स्वार्थपूर्ति के लिए उपयोग किया जा रहा है।

महाविद्यालय के प्रबंधक -- डॉ0 अरुण महरोत्रा
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प्रथम तकनीकी सत्र पर मंचासीन अतिथि
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प्रथम तकनीकी सत्र में दयानन्द वैदिक स्नातकोत्तर महाविद्यालय के राजनतिविज्ञान विभागाध्यक्ष तथा 0प्र0 राजनीतिविज्ञान परिषद के अध्यक्ष डॉ0 आदित्य कुमार ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बाबा साहब के सम्पूर्ण चिन्तन को स्वतन्त्रता, समानता और बंधुत्व जैसे तीन शब्दों में समाहित किया जा सकता है। उनको आज इसी रूप में प्रासंगिक भी माना जा सकता है।

0प्र0 राजनीतिविज्ञान परिषद के अध्यक्ष डॉ0 आदित्य कुमार
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डॉ0 अम्बेडकर विचारधारा के प्रबल प्रचारक डॉ0 रामाधीन ने विचार व्यक्त करते हुए डॉ0 भीमराव अम्बेडकर के सम्पूर्ण जीवन-चरित्र पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वे मानवीय पक्ष के समर्थक थे और इसी कारण से उन्होंने आरक्षण की दुर्दशा को देखते हुए इसका विरोध भी किया था। आज उन्हीं का समर्थक होने का दावा करने वाले बाबा साहब के विचारों का उपहास उड़ा रहे हैं।

डॉ0 रामाधीन
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सेमिनार में साकेत महाविद्यालय, फैजाबाद के डॉ0 मनोज, उ0प्र0 राजनीति विज्ञान परिषद् के मंत्री डॉ0 कपिल वाजपेयी, डीएवी कानपुर के डॉ0 योगेन्द्र प्रताप सिंह, एम0पी0 कॉलेज कोंच के डॉ0 टी0आर0निरंजन, डॉ0 जयशंकर तिवारी, डी0वी0कॉलेज, उरई के डॉ वीरेन्द्र सिंह यादव, गांधी महाविद्यालय, उरई के डॉ0 राकेश नारायण द्विवेदी, डॉ0 शिवशंकर पटेल, डॉ0 सुमन, डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर, समाजसेवी सुभाष चन्द्रा सेमिनार में उपस्थित रहे।

संचालन करती डॉ0 शशि पुरवार
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इसके
पूर्व सेमिनार में विषय प्रवर्तन कॉलेज के डॉ0 एम0 सिंह ने किया तथा संचालन डॉ0 शशि पुरवार ने किया। सेमिनार में आये अतिथियों का स्वागत कॉलेज के प्राचार्य डॉ0 धर्मेन्द्र सिंह ने किया। उन्होंने अपने स्वागत भाषण के द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत किया।

कॉलेज के प्राचार्य डॉ0 धर्मेन्द्र सिंह
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आभार प्रदर्शन कॉलेज की प्रबन्धकारिणी के सदस्य डॉ0 मैहर जी ने किया।

कॉलेज की प्रबन्धकारिणी के सदस्य डॉ0 मैहर
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अतिथियों का स्वागत
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सेमिनार
में महाविद्यालय के डॉ0 डी0पी0 सिंह, डॉ0 मधुप्रभा, डॉ0 सुधा गुप्ता, डॉ0 कौशल्या, डॉ0 राधारानी, डॉ0 रीता सिंह, डॉ0 संतोष पाण्डेय, डॉ0 विनीत, डॉ0 सोमचन्द्र, डॉ0 पंकज, डॉ0 अमित आदि सहित महाविद्यालय के समस्त कर्मचारी, मीडियाकर्मी, नगर के गणमान्यजन उपस्थित रहे।

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